
सनातन धर्म में भगवान गणेश को प्रथम पूज्य और विघ्नहर्ता माना गया है। भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी से आरंभ होने वाला गणेश महोत्सव पूरे देश में उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र और गुजरात में तो इसकी धूम अलग ही नजर आती है। हर घर में गणपति बप्पा की प्रतिमा स्थापित कर, मंत्रोच्चार और विधिविधान से पूजा की जाती है। मान्यता है कि गणेश जी की उपासना से सुख-संपत्ति, सौभाग्य और समृद्धि प्राप्त होती है और जीवन से सभी बाधाएँ दूर होती हैं।
📅 महोत्सव की तिथियाँ
- आरंभ : भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी (इस वर्ष 27 अगस्त 2025 से)
- विसर्जन : भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी (06 सितंबर 2025)
🌙 चौरचन पर्व
बिहार में इसी दिन चौरचन का पर्व भी बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। 26 अगस्त की शाम को चंद्र देव की विशेष पूजा की जाती है। मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को अर्घ्य देने से जीवन में सुख-समृद्धि आती है।
🕉️ शुभ स्थापना मुहूर्त
ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस वर्ष गणेश प्रतिमा स्थापना का श्रेष्ठ समय
27 अगस्त को सुबह 11:05 से दोपहर 01:40 बजे तक रहेगा।
🌟 इस वर्ष का विशेष योग
गणेश चतुर्थी पर इस बार अद्भुत संयोग बन रहा है।
- प्रीति योग
- सर्वार्थ सिद्धि योग
- रवि योग
- इंद्र-ब्रह्म योग
- कर्क राशि में बुध और शुक्र के कारण लक्ष्मी नारायण योग
साथ ही बुधवार का दिन होने से इस तिथि का महत्व कई गुना बढ़ गया है।
🙏 पूजा विधि
- प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
- घर के ईशान कोण (उत्तर-पूर्व दिशा) में पीले वस्त्र से सजी चौकी पर गणेश प्रतिमा स्थापित करें।
- गंगाजल छिड़ककर प्रतिमा का अभिषेक करें।
- गणपति को सिंदूर, दूर्वा (21 पत्तियाँ), मोदक, लड्डू, नारियल, गन्ना, फल और पुष्प अर्पित करें।
- गणेश चालीसा, अथर्वशीर्ष या गणपति स्तोत्र का पाठ करें।
- पूजा के अंत में आरती करें और ब्राह्मण को भोजन/दान दें।
🌼 क्यों है खास यह दिन?
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी को दोपहर के समय भगवान गणेश का जन्म हुआ था। तभी से यह तिथि अत्यंत शुभ मानी जाती है। कोई भी धार्मिक अनुष्ठान, विवाह या नया कार्य गणपति वंदना के बिना आरंभ नहीं होता। यही कारण है कि भक्त पूरे वर्ष इस दिन का बेसब्री से इंतज़ार करते हैं।
👉 इस गणेश चतुर्थी पर आइए हम सब मिलकर पुकारें –
“गणपति बप्पा मोरया, मंगल मूर्ति मोरया!”