Special News देवी माँ के नौ वाहनों का प्रतीकात्मक महत्व,

नौ वाहनों का स्मरण भक्तों को शक्ति, ज्ञान, संयम और आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण होने का देता है संदेश : निरंजन,
नवरात्रि पर्व के अवसर पर देवी माँ के नौ वाहनों का महत्व विशेष रूप से चर्चा में रहता है। देवी के विभिन्न स्वरूप अलग-अलग वाहनों पर विराजमान होकर मानव जीवन को अनेक संदेश देते हैं। प्रत्येक वाहन का अपना विशिष्ट अर्थ और प्रतीक है, जो जीवन मूल्यों को दिशा प्रदान करता है। देवी मां के नौ वाहनों का प्रतीकात्मक महत्व को बताते हुए पं. निरंजन मिश्रा ने बताया कि सिंह – शक्ति और पराक्रम का प्रतीक। देवी दुर्गा का वाहन सिंह दर्शाता है कि उनके उपासक निर्भीक होकर शत्रुओं का सामना करने में सक्षम होते हैं। हंस – ज्ञान और विवेक का प्रतीक। देवी सरस्वती हंस पर विराजमान होकर मोती समान बुद्धि और ब्रह्मज्ञान का संदेश देती हैं। व्याघ्र (बाघ) – स्फूर्ति और निरंतर कर्म का द्योतक। माता देवी कुछ रूपों में बाघ की सवारी कर कर्मशीलता का संदेश देती हैं। वृषभ (बैल) – संयम और ब्रह्मचर्य का प्रतीक। शैलपुत्री और भगवान शिव नंदी पर सवार होकर शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार करते हैं। गरुड़ – त्याग और वैराग्य का प्रतीक। भगवती लक्ष्मी, जब भगवान नारायण के साथ होती हैं, तो गरुड़ पर विराजित होती हैं। मयूर (मोर) – सौंदर्य, लावण्य और योगशक्ति का प्रतीक। भगवान कार्तिकेय का वाहन मोर शक्ति और स्नेह का संदेश देता है। उल्लू – अज्ञान का प्रतीक। लक्ष्मी का वाहन उल्लू यह चेतावनी देता है कि सांसारिक दौलत के मोह में इंसान आत्मज्ञान से वंचित हो सकता है। गदर्भ (गधा) – तमोगुण का प्रतीक। माता कालरात्रि और शीतला देवी ने गदर्भ को वाहन बनाकर नकारात्मकता पर नियंत्रण का संदेश दिया। हाथी – ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक। देवी गजलक्ष्मी हाथी पर विराजमान होकर सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देती हैं।
उन्होंने कहा कि नवरात्रि के पावन अवसर पर इन नौ वाहनों का स्मरण भक्तों को शक्ति, ज्ञान, संयम और आध्यात्मिक चेतना से परिपूर्ण होने का प्रेरक संदेश देता है।