घर वापसी के लिए तीन विधायकों को किया बेदखल, तारापुर से चुनावी मैदान में उतरे सम्राट चौधरी,
रणनीतिक दांव में मुंगेर–जमालपुर–तारापुर के समीकरण बदले, एनडीए में मचा सियासी हलचल,

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए में टिकट वितरण के बाद सियासी समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। इसी कड़ी में पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने अपने गृह क्षेत्र तारापुर विधानसभा से भाजपा प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरकर एक तरह से अपनी राजनीतिक घर वापसी कर ली है।
सम्राट चौधरी की इस वापसी ने जिले की तीनों विधानसभाओं — मुंगेर, जमालपुर और तारापुर — की राजनीति में हलचल मचा दी है।
वर्ष 2010 में परबत्ता विधानसभा से विधायक बनकर राजनीतिक सफर की शुरुआत करने वाले सम्राट चौधरी अब अपने पैतृक क्षेत्र तारापुर लौट आए हैं। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि यह फैसला उनके लिए केवल “टिकट” नहीं, बल्कि अपने पुराने राजनीतिक गढ़ को फिर से मजबूत करने की एक सुनियोजित रणनीति है।
हालांकि इस “घर वापसी” की राह में उन्होंने मुंगेर जिले के तीन मौजूदा विधायकों को राजनीतिक रूप से हाशिए पर धकेल दिया है।
भाजपा ने इस बार मुंगेर विधायक प्रणव यादव, कांग्रेस ने जमालपुर विधायक डॉ. अजय कुमार सिंह को, और जदयू ने तारापुर विधायक राजीव कुमार सिंह को टिकट नहीं दिया है। ये तीनों विधायक अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र के निवासी हैं और स्थानीय स्तर पर मजबूत माने जाते रहे हैं।
इसके विपरीत सम्राट चौधरी के प्रभाव में भाजपा ने तारापुर निवासी कुमार प्रणय को मुंगेर से और मुंगेर निवासी नचिकेता मंडल को जदयू ने जमालपुर से प्रत्याशी बनाकर मैदान में उतारा है। इससे जिले की राजनीतिक बिसात पूरी तरह उलट गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सम्राट चौधरी ने अपने विश्वासपात्र चेहरों को आगे बढ़ाकर जिले में पार्टी संगठन पर अपनी पकड़ को और मजबूत करने का प्रयास किया है। वहीं, पुराने विधायकों के टिकट कटने से पार्टी के अंदर असंतोष की स्थिति भी देखी जा रही है।
स्थानीय राजनीतिक हलकों में इसे सम्राट चौधरी की “घर वापसी की रणनीति” के रूप में देखा जा रहा है — जिसमें उन्होंने संगठनात्मक नियंत्रण, क्षेत्रीय प्रभुत्व और व्यक्तिगत प्रभाव — तीनों को एक साथ साधने की कोशिश की है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि तारापुर की इस घर वापसी की चाल भाजपा के लिए कितनी फायदेमंद साबित होती है और जिले की तीनों सीटों पर इस नए समीकरण का क्या असर पड़ता है।