अमीर ए शरियत हजरत मौलाना अहमद वली फैसल वली रहमानी मुंगेर ने ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की सदस्यता कार्यकारिणी एवं सचिव के पद से इस्तीफा देना हिंदुस्तान के मुसलमान के लिए सही फैसला है। उक्त बातें राजा कर्ण मीर कासिम समिति के अध्यक्ष जफर अहमद ने कहीं।
उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में देशभर के मुसलमान के अधिकार और सम्मान को बढ़ाने के लिए तथा वकफ बोर्ड जैसे मामले को लेकर पूरे मुल्क में जिस तरह हजरत अमीर ए शरियत पूरे लगन से काम कर रहे हैं। इसी का नतीजा है की मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना खालिद सैफुल्लाह रहमानी एवं जनरल सेक्रेटरी मौलाना फजलुर रहीम मोजददवी को रास नहीं आ रहा है। उन्होंने आगे कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को बनाने में हजरत अमीर ए शरियत के दादा मौलाना अली मुंगेरी रहमतुल्ला अलैहे का बहुत बड़ा योगदान रहा है। जिस तरह पूर्व में बोर्ड काम कर रहा था परंतु आज के दिनों में राजनीति का शिकार हो गया है। जिसे हिंदुस्तान के मुसलमान बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह संस्था आम मुसलमान के हक और हुकुक को दिलाने तथा उस पर काम करने के लिए बनी थी। जिस तरह से कुछ लोगों के द्वारा अपनी जागीर समझी जा रही है। उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा हजरत अमीर ए शरियत अहमद वली फैसल रहमानी साहब का फैसला सही है। इन 2 सालों में जिस तरह से हजरत ने अपने दम पर और आम लोगों के सहयोग से बोर्ड को बहुत ऊंचा मुकाम तक पहुंचाया है। उसे भुलाया नहीं जा सकता है। अगर ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड जल्द से जल्द अपने कार्य प्रणाली में सुधार नहीं लाएगी तो ऐसी ऐसी बड़ी शख्सियत उसे बोर्ड को छोड़ देगी। तथा बोर्ड का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।