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Munger News टीईटी पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय से शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा पर संकट, प्रधानमंत्री के नाम सौंपा गया ज्ञापन,

माननीय सर्वो च्च न्यायालय द्वारा शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को लेकर दिए गए हालिया निर्णय से प्रभावित शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा सुनिश्चित करने की मांग को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने  जिला पदाधिकारी/डीएम के माध्यम से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को संबोधित ज्ञापन सौंपा।

जिला संयोजक अजय कुमार के नेतृत्व में महासंघ के प्रतिनिधिमंडल ने जिला पदाधिकारी से मुलाकात कर ज्ञापन सौंपते हुए कहा कि दिनांक 01 सितम्बर 2025 को उच्चतम न्यायालय द्वारा सिविल अपील संख्या 1385/2025 में दिए गए आदेश के अनुसार, सेवारत सभी शिक्षकों के लिए उनकी नियुक्ति तिथि चाहे जो भी हो, टीईटी अनिवार्य कर दिया गया है। यह निर्णय देशभर के लाखों शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और आजीविका पर संकट खड़ा कर रहा है।

ज्ञापन में कहा गया है कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 तथा एनसीटीई की अधिसूचना 23 अगस्त 2010 के अंतर्गत स्पष्ट प्रावधान था कि – वर्ष 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से छूट दी जाएगी। वर्ष 2010 के बाद नियुक्त शिक्षकों के लिए निर्धारित समय सीमा के भीतर टीईटी उत्तीर्ण करना अनिवार्य होगा।

महासंघ का कहना है कि सर्वोच्च न्यायालय के हालिया निर्णय में इन प्रावधानों की अनदेखी की गई है, जिसके कारण 2010 से पूर्व वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा भी असुरक्षित हो गई है। यह स्थिति देशभर के लगभग 20 लाख से अधिक शिक्षकों में गहन चिंता और असमंजस पैदा कर रही है।

प्रधानमंत्री से आग्रह किया गया है कि यह निर्णय केवल भविष्यलक्षी (Prospective) रूप से लागू हो और 2010 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखा जाए। साथ ही, अनुभवी एवं वैध रूप से नियुक्त शिक्षकों की सेवा-सुरक्षा और गरिमा को बनाए रखने के लिए आवश्यक नीतिगत अथवा विधायी कदम शीघ्र उठाए जाएँ।

महासंघ ने अपने ज्ञापन में कहा है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखना जितना जरूरी है, उतना ही महत्वपूर्ण है उन शिक्षकों के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करना, जिन्होंने अपना पूरा जीवन इस पवित्र शिक्षण कार्य को समर्पित कर दिया है।

प्रतिनिधिमंडल में प्रदेश सचिव अभय कुमार, सह संयोजक कृष्णकांत सिंह, सह संयोजक हरिशंकर सिंह, सह संयोजिका नीना कुमारी सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।

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